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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना
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श्लोक 12
श्लोक
7.37.12
तमुत्थितं महात्मानं प्रह्वा: प्राञ्जलयो नरा:।
सलिलं भाजनै: शुभ्रैरुपतस्थु: सहस्रश:॥ १२॥
अनुवाद
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राजमहाराज के शय्या से उठते ही हजारों नौकर आदरपूर्वक हाथ जोड़कर सजाए हुए चमकते हुए पात्रों में जल लेकर उनकी सेवा में उपस्थित हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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