श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  7.37.11 
 
 
स तद्विहाय शयनं पाण्डुराच्छादनास्तृतम्।
उत्तस्थौ नागशयनाद्धरिर्नारायणो यथा॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  सर्पों से ढंकी शय्या से नागराज अनंत शेष पर विराजित भगवान नारायण जिस प्रकार उठते हैं, उसी तरह वह व्यक्ति भी सफेद चादरों से ढकी हुई शय्या से उठकर बैठ गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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