श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 36: ब्रह्मा आदि देवताओं का हनुमान्जी को जीवित करके नाना प्रकारके वरदान देना और वायु का उन्हें लेकर अञ्जना के घर जाना, ऋषियों के शाप से हनुमान्जी को अपने बल की विस्मृति, श्रीराम का अगस्त्य आदि ऋषियों से अपने यज्ञ में पधारने के लिये प्रस्ताव करके उन्हें विदा देना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  7.36.8 
 
 
भो महेन्द्राग्निवरुणा महेश्वरधनेश्वरा:।
जानतामपि व: सर्वं वक्ष्यामि श्रूयतां हितम्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  हे इंद्र, अग्नि, वरुण, महादेव और कुबेर आदि देवताओं! यद्यपि आप सभी जानते हैं, फिर भी मैं आप सभी के हित की बातें बताऊंगा, सुनिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.