श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 36: ब्रह्मा आदि देवताओं का हनुमान्जी को जीवित करके नाना प्रकारके वरदान देना और वायु का उन्हें लेकर अञ्जना के घर जाना, ऋषियों के शाप से हनुमान्जी को अपने बल की विस्मृति, श्रीराम का अगस्त्य आदि ऋषियों से अपने यज्ञ में पधारने के लिये प्रस्ताव करके उन्हें विदा देना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.36.14 
 
 
यदा च शास्त्राण्यध्येतुं शक्तिरस्य भविष्यति।
तदास्य शास्त्रं दास्यामि येन वाग्मी भविष्यति।
न चास्य भविता कश्चित् सदृश: शास्त्रदर्शने॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  हाँ, यह सही है। जब इसमें शास्त्रों का अध्ययन करने की क्षमता आ जाएगी, तब मैं उसे स्वयं शास्त्रों का ज्ञान दूँगा, जिससे वह एक अच्छा वक्ता बनेगा। शास्त्रज्ञान में कोई भी उसकी तुलना नहीं कर पाएगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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