श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  7.34.46 
 
 
बलमप्रतिमं राम वालिनोऽभवदुत्तमम्।
सोऽपि त्वया विनिर्दग्ध: शलभो वह्निना यथा॥ ४६॥
 
 
अनुवाद
 
  हे श्रीराम! वाली का बल बहुत अधिक और अद्वितीय था, लेकिन आपने उसे भी बाणों की आग से उसी तरह जला दिया, जैसे आग पतंगे को जला देती है।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे चतुस्त्रिंश: सर्ग: ॥ ३ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें चौंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ ४॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.