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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना
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श्लोक 45
श्लोक
7.34.45
एवमेतत् पुरा वृत्तं वालिना रावण: प्रभो।
धर्षितश्च वृतश्चापि भ्राता पावकसंनिधौ॥ ४५॥
अनुवाद
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प्रभो! ऐसा पहले भी हो चुका है। वाली ने रावण को परास्त किया और फिर अग्नि के साक्ष्य में उसे अपना भाई बना लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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