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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना
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श्लोक 42
श्लोक
7.34.42
तत: प्रज्वालयित्वाग्निं तावुभौ हरिराक्षसौ।
भ्रातृत्वमुपसम्पन्नौ परिष्वज्य परस्परम्॥ ४२॥
अनुवाद
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तब वानरराज व राक्षसराज दोनों ने अग्नि प्रज्वलित कर और एक-दूसरे से हृदय से लगकर भाइयों के समान प्रेम और सम्मान का सम्बन्ध स्थापित किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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