श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  7.34.38 
 
 
एवमश्रान्तवद् वीर शीघ्रमेव च वानर।
मां चैवोद्वहमानस्तु कोऽन्यो वीरो भविष्यति॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  नरश्रेष्ठ हनुमान! तुम्हारे सिवा दूसरा ऐसा कौन शूरवीर होगा, जो बिना थके-माँदे शीघ्रतापूर्वक इस विशाल समुद्र को और मुझे भी ढो सके?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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