श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  7.34.33 
 
 
चतुर्ष्वपि समुद्रेषु संध्यामन्वास्य वानर:।
रावणोद्वहनश्रान्त: किष्किन्धोपवनेऽपतत्॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण को अपने विशालकाय शरीर के कारण लेकर थकान के मारे वानरराज वाली किष्किन्धा के वनों में गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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