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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना
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श्लोक 27
श्लोक
7.34.27
अपक्षिगणसम्पातान् वानरेन्द्रो महाजव:।
क्रमश: सागरान् सर्वान् संध्याकालमवन्दत॥ २७॥
अनुवाद
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वायुगति से तीव्र पक्षियों से युक्त वानरराज ने क्रमशः सभी समुद्रों के तट पर पहुँचकर संध्या-वन्दन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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