श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  7.34.25 
 
 
तेऽशक्नुवन्त: सम्प्राप्तुं वालिनं राक्षसोत्तमा:।
तस्य बाहूरुवेगेन परिश्रान्ता व्यवस्थिता:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  वे श्रेष्ठ राक्षस हर संभव प्रयत्न करने पर भी वाली के निकट नहीं पहुँच पा रहे थे। उसकी भुजाओं और जाँघों के वेग से उत्पन्न वायु के थपेड़ों से थककर वे खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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