श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  7.34.20 
 
 
हस्तग्राहं तु तं मत्वा पादशब्देन रावणम्।
पराङ्मुखोऽपि जग्राह वाली सर्पमिवाण्डज:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के पैरों से आने वाली धीमी सी आहट सुनकर वाली समझ गए कि रावण अब हाथ बढ़ाकर उन्हें पकड़ना चाहता है। इसके बाद, पीठ करके भी वाली ने रावण को उसी तरह अचानक पकड़ लिया, जैसे गरुड़ साँप को दबोच लेता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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