श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.34.15 
 
 
शशमालक्ष्य सिंहो वा पन्नगं गरुडो यथा।
न चिन्तयति तं वाली रावणं पापनिश्चयम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे सिंह खरगोश को देखकर भी उसकी परवाह नहीं करता और गरुड़ सर्प को देखकर भी उसकी परवाह नहीं करता, उसी प्रकार वाली ने पापपूर्ण विचार रखने वाले रावण को देखने के बाद भी कोई चिंता नहीं की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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