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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना
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श्लोक 14
श्लोक
7.34.14
यदृच्छया तदा दृष्टो वालिनापि स रावण:।
पापाभिप्रायकं दृष्ट्वा चकार न तु सम्भ्रमम्॥ १४॥
अनुवाद
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देवताओं की इच्छा से वाली ने रावण को देख लिया था; लेकिन वो रावण के पापपूर्ण इरादों को जानते हुए भी डरे नहीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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