श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 34: वाली के द्वारा रावण का पराभव तथा रावण का उन्हें अपना मित्र बनाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.34.13 
 
 
पुष्पकादवरुह्याथ रावणोऽञ्जनसंनिभ:।
ग्रहीतुं वालिनं तूर्णं नि:शब्दपदमव्रजत्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  देखते ही देखते काजल के जैसा काला रावण पुष्पक विमान से उतर गया और वाली को पकड़ने के लिए तेज़ी से उनकी ओर बढ़ने लगा। उस समय वह अपने पैरों की आहट को दबाकर रखा हुआ था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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