श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 33: पुलस्त्यजी का रावण को अर्जुन की कैद से छुटकारा दिलाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  7.33.16 
 
 
पुत्रकस्य यश: पीतं नाम विश्रावितं त्वया।
मद्वाक्याद् याच्यमानोऽद्य मुञ्च वत्स दशाननम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  "बेटा, ऐसा करके तुमने मेरे इस बच्चे का यश छीन लिया और हर जगह अपने नाम का डंका बजा दिया। अब मेरे कहने से दशानन को छोड़ दो। बेटा, यह तुमसे मेरी विनती है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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