श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 32: अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा के प्रवाह का अवरुद्ध होना, रावण के पुष्पोपहार का बह जाना, फिर रावण आदि निशाचरों का अर्जुन के साथ युद्ध तथा अर्जुन का रावण को कैद करके अपने नगर में ले जाना  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  7.32.54 
 
 
वज्रप्रहारानचला यथा घोरान् विषेहिरे।
गदाप्रहारांस्तौ तत्र सेहाते नरराक्षसौ॥ ५४॥
 
 
अनुवाद
 
  यथा पूर्व काल में पर्वतों ने वज्र के भयंकर आघातों को सहे थे, ठीक उसी प्रकार अर्जुन और रावण गदाओं के प्रहारों को सह रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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