श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 32: अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा के प्रवाह का अवरुद्ध होना, रावण के पुष्पोपहार का बह जाना, फिर रावण आदि निशाचरों का अर्जुन के साथ युद्ध तथा अर्जुन का रावण को कैद करके अपने नगर में ले जाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.32.19 
 
 
तेन बाहुसहस्रेण संनिरुद्धजला नदी।
सागरोद‍्गारसंकाशानुद्गारान् सृजते मुहु:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  उसकी हज़ारों भुजाओं के कारण नदी का पानी रुक गया है। इसी वजह से यह बार-बार सागर की लहरों की तरह पानी के छींटे मार रही है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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