श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 32: अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा के प्रवाह का अवरुद्ध होना, रावण के पुष्पोपहार का बह जाना, फिर रावण आदि निशाचरों का अर्जुन के साथ युद्ध तथा अर्जुन का रावण को कैद करके अपने नगर में ले जाना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.32.14 
 
 
बृहत्सालप्रतीकाशं तोयव्याकुलमूर्धजम्।
मदरक्तान्तनयनं मदव्याकुलचेतसम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  उनका शरीर विशाल साल वृक्ष के समान ऊँचा और सुडौल था। उनके बाल जल से लथपथ और नम थे। उनकी आँखों में मदिरा का मद रंग लिये हुए था और उनका मन भी मद से उन्मत्त जान पड़ता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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