श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 32: अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा के प्रवाह का अवरुद्ध होना, रावण के पुष्पोपहार का बह जाना, फिर रावण आदि निशाचरों का अर्जुन के साथ युद्ध तथा अर्जुन का रावण को कैद करके अपने नगर में ले जाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.32.13 
 
 
अर्धयोजनमात्रं तु गत्वा तौ रजनीचरौ।
पश्येतां पुरुषं तोये क्रीडन्तं सहयोषितम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  अर्ध योजन अर्थात् थोड़ी ही दूर चलने पर रात्रि में विचरण करने वाले उन दोनों राक्षसों ने एक व्यक्ति को जल क्रीड़ा करते देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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