रावण ने देखा कि नदी के किनारे वाले वृक्षों पर रहने वाले पक्षी बिल्कुल भी घबराए हुए नहीं थे। नदी अपनी स्वाभाविक स्थिति में थी, उसका पानी पहले जैसा ही साफ और निर्मल था। उसमें वर्षा ऋतु की बाढ़ के कारण होने वाली गंदगी और विकार बिल्कुल भी नहीं थे। रावण ने उस नदी को विकारों से रहित हृदय वाली स्त्री के समान देखा।