अहल्यया त्वेवमुक्त: प्रत्युवाच स गौतम:।
उत्पत्स्यति महातेजा इक्ष्वाकूणां महारथ:॥ ४१॥
रामो नाम श्रुतो लोके वनं चाप्युपयास्यति।
ब्राह्मणार्थे महाबाहुर्विष्णुर्मानुषविग्रह:॥ ४२॥
तं द्रक्ष्यसि यदा भद्रे तत: पूता भविष्यसि।
स हि पावयितुं शक्तस्त्वया यद् दुष्कृतं कृतम्॥ ४३॥
अनुवाद
गौतम ने अहिल्या के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा- हे भद्रे! इक्ष्वाकु वंश में एक महान तेजस्वी और महारथी वीर का जन्म होगा, जो संसार में श्री राम के नाम से विख्यात होंगे। श्री राम के रूप में साक्षात भगवान विष्णु ही मानव शरीर धारण करके प्रकट होंगे। वे ब्राह्मणों के कार्य हेतु तपोवन में पधारेंगे। जब तुम उनका दर्शन करोगी, तभी तुम पवित्र हो जाओगी। तुमने जो पाप किया है, उससे वे ही तुम्हें पवित्र कर सकते हैं।