श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 29: रावण का देवसेना के बीच से होकर निकलना, देवताओं का उसे कैद करने के लिये प्रयत्न, मेघनाद का माया द्वारा इन्द्र को बन्दी बनाना तथा विजयी होकर सेना सहित लङ्का को लौटना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  7.29.42 
 
 
अथ स बलवृत: सवाहन-
स्त्रिदशपतिं परिगृह्य रावणि:।
स्वभवनमधिगम्य वीर्यवान्
कृतसमरान् विससर्ज राक्षसान्॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  पिता की आज्ञा मिलते ही पराक्रमी रावण कुमार मेघनाद देवराज सहित अपनी पूरी सेना और सवारियों के साथ अपने निवासस्थान लौट आए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने युद्ध में भाग लेने वाले राक्षसों को विदा कर दिया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकोनत्रिंश: सर्ग: ॥ २ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें उन्तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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