श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 29: रावण का देवसेना के बीच से होकर निकलना, देवताओं का उसे कैद करने के लिये प्रयत्न, मेघनाद का माया द्वारा इन्द्र को बन्दी बनाना तथा विजयी होकर सेना सहित लङ्का को लौटना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  7.29.35 
 
 
आगच्छ तात गच्छामो रणकर्म निवर्तताम्।
जितं नो विदितं तेऽस्तु स्वस्थो भव गतज्वर:॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  पिताजी! आइए, अब हम घर चलें। युद्ध बंद हो गया है और हम विजयी हुए हैं। आप अब स्वस्थ, चिंतामुक्त और प्रसन्न हो सकते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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