श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 28: मेघनाद और जयन्त का युद्ध, पुलोमा का जयन्त को अन्यत्र ले जाना, देवराज इन्द्र का युद्ध भूमि में पदार्पण, रुद्रों तथा मरुद्गणों द्वारा राक्षस सेना का संहार और इन्द्र तथा रावण का युद्ध  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  7.28.49 
 
 
प्रयुध्यतोरथ तयोर्बाणवर्षै: समन्तत:।
नाज्ञायत तदा किंचित् सर्वं हि तमसा वृतम्॥ ४९॥
 
 
अनुवाद
 
  प्रयुद्ध आरंभ करते ही उनके तीरों की वर्षा से चारों ओर घोर अंधेरा छा गया। किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डेऽष्टाविंश: सर्ग: ॥ २ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें अट्ठाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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