प्रयुद्ध आरंभ करते ही उनके तीरों की वर्षा से चारों ओर घोर अंधेरा छा गया। किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डेऽष्टाविंश: सर्ग: ॥ २ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें अट्ठाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ८॥