श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 28: मेघनाद और जयन्त का युद्ध, पुलोमा का जयन्त को अन्यत्र ले जाना, देवराज इन्द्र का युद्ध भूमि में पदार्पण, रुद्रों तथा मरुद्गणों द्वारा राक्षस सेना का संहार और इन्द्र तथा रावण का युद्ध  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  7.28.26 
 
 
नानावाद्यानि वाद्यन्त गन्धर्वाश्च समाहिता:।
ननृतुश्चाप्सर:सङ्घा निर्याते त्रिदशेश्वरे॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  देवेश्वर इन्द्र के निकलते ही विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र बज उठे। गंधर्व एकाग्र होकर संगीत बजाने लगे और अप्सराओं के समूह ने नृत्य करना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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