श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 23: रावण के द्वारा निवातकवचों से मैत्री, कालकेयों का वध तथा वरुणपुत्रों की पराजय  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  7.23.29 
 
 
ते तु तत्र गुणोपेता बलै: परिवृता: स्वकै:।
युक्त्वा रथान् कामगमानुद्यद्भास्करवर्चस:॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  वे सभी वीर और गुणों से सम्पन्न थे और उनके तेज उगते हुए सूर्य के समान चमक रहे थे। वे अपनी इच्छा के अनुसार चलने वाले रथों पर सवार होकर अपनी सेनाओं से घिरे हुए युद्ध के मैदान में आये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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