श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 22: यमराज और रावण का युद्ध, यम का रावण के वध के लिये उठाये हुए कालदण्ड को ब्रह्माजी के कहने से लौटा लेना, विजयी रावण का यमलोक से प्रस्थान  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  7.22.44 
 
 
तन्न खल्वेष ते सौम्य पात्यो रावणमूर्धनि।
नह्यस्मिन् पतिते कश्चिन्मुहूर्तमपि जीवति॥ ४४॥
 
 
अनुवाद
 
  इसलिए हे सौम्य! तुम इसे रावण के सर पर मत गिराना। यदि यह उसके ऊपर गिर गया, तो वह एक मुहूर्त भी जीवित नहीं रह सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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