श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 22: यमराज और रावण का युद्ध, यम का रावण के वध के लिये उठाये हुए कालदण्ड को ब्रह्माजी के कहने से लौटा लेना, विजयी रावण का यमलोक से प्रस्थान  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  7.22.42 
 
 
क्रुद्धेन विप्रमुक्तोऽयं निर्विशेषं प्रियाप्रिये।
प्रजा: संहरते रौद्रो लोकत्रयभयावह:॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  यह कालदण्ड तीनों लोकों के लिए भयावह एवं रौद्रकारी है। यदि आप क्रोध में इसे छोड़ते हैं, तो यह प्रिय और अप्रिय जनों के बीच भेदभाव किये बिना सभी प्रजाजनों का नाश कर देगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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