श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 22: यमराज और रावण का युद्ध, यम का रावण के वध के लिये उठाये हुए कालदण्ड को ब्रह्माजी के कहने से लौटा लेना, विजयी रावण का यमलोक से प्रस्थान  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  7.22.40 
 
 
वर: खलु मयैतस्मै दत्तस्त्रिदशपुङ्गव।
स त्वया नानृत: कार्यो यन्मया व्याहृतं वच:॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  देवराज! मैंने इसे देवताओं द्वारा न убиए जाने का वरदान दिया है। मेरे मुँह से निकली बात को तुम्हें झूठा नहीं करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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