वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 22: यमराज और रावण का युद्ध, यम का रावण के वध के लिये उठाये हुए कालदण्ड को ब्रह्माजी के कहने से लौटा लेना, विजयी रावण का यमलोक से प्रस्थान
»
श्लोक 40
श्लोक
7.22.40
वर: खलु मयैतस्मै दत्तस्त्रिदशपुङ्गव।
स त्वया नानृत: कार्यो यन्मया व्याहृतं वच:॥ ४०॥
अनुवाद
play_arrowpause
देवराज! मैंने इसे देवताओं द्वारा न убиए जाने का वरदान दिया है। मेरे मुँह से निकली बात को तुम्हें झूठा नहीं करना चाहिए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.