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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 22: यमराज और रावण का युद्ध, यम का रावण के वध के लिये उठाये हुए कालदण्ड को ब्रह्माजी के कहने से लौटा लेना, विजयी रावण का यमलोक से प्रस्थान
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श्लोक 34
श्लोक
7.22.34
यस्य पार्श्वेषु निहिता: कालपाशा: प्रतिष्ठिता:।
पावकाशनिसंकाशो मुद्गरो मूर्तिमान् स्थित:॥ ३४॥
अनुवाद
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उस कालदंड के बगल में कालपाश प्रतिष्ठित थे और वज्र के समान तेजस्वी मुद्गर भी साकार रूप में स्थित था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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