श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 20: नारदजी का रावण को समझाना, उनके कहने से रावण का युद्ध के लिये यमलोक को जाना तथा नारदजी का इस युद्ध के विषयमें विचार करना  »  श्लोक 31-32
 
 
श्लोक  7.20.31-32 
 
 
यो विधाता च धाता च सुकृतं दुष्कृतं तथा॥ ३१॥
त्रैलोक्यं विजितं येन तं कथं विजयिष्यते।
अपरं किं तु कृत्वैवं विधानं संविधास्यति॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  यो त्रिलोकी को धारण-पोषण करने वाले तथा पुण्य और पाप के फल देने वाले हैं और जिन्होंने तीनों लोकों पर विजय पायी है, उस काल देवको यह राक्षस कैसे जीतेगा? काल ही तो सबका साधन है। यह राक्षस काल के अतिरिक्त दूसरे किस साधन का सम्पादन करके उस काल पर विजय प्राप्त करेगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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