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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 17: रावण से तिरस्कृत ब्रह्मर्षि कन्या वेदवती का उसे शाप देकर अग्नि में प्रवेश करना और दूसरे जन्म में सीता के रूप में प्रादुर्भूत होना
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श्लोक 40
श्लोक
7.17.40
सैषा जनकराजस्य प्रसूता तनया प्रभो।
तव भार्या महाबाहो विष्णुस्त्वं हि सनातन:॥ ४०॥
अनुवाद
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प्रभो! वेदवती ही वेदवती ही जनकराज की पुत्री बनकर प्रकट हुई हैं और अब तुम्हारी पत्नी हैं। हे महाबाहो! तुम ही सनातन विष्णु हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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