श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 16: नन्दीश्वर का रावण को शाप, भगवान् शङ्कर द्वारा रावण का मान भङ्ग तथा उनसे चन्द्रहास नामक खड्ग की प्राप्ति  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  7.16.47 
 
 
ततो महीतलं राम पर्यक्रामत रावण:।
क्षत्रियान् सुमहावीर्यान् बाधमानस्ततस्तत:॥ ४७॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! उसके पश्चात रावण संपूर्ण पृथ्वी पर विजय प्राप्त करने के लिए यात्रा करने लगा। उसने इधर-उधर जाकर अनेक महापराक्रमी क्षत्रियों को कष्ट पहुँचाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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