श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 16: नन्दीश्वर का रावण को शाप, भगवान् शङ्कर द्वारा रावण का मान भङ्ग तथा उनसे चन्द्रहास नामक खड्ग की प्राप्ति  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  7.16.45 
 
 
दत्त्वोवाच तत: शम्भुर्नावज्ञेयमिदं त्वया।
अवज्ञातं यदि हि ते मामेवैष्यत्यसंशय:॥ ४५॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवान शिव ने चंडी देवी को तलवार देकर कहा, "इस तलवार को कभी भी तुम्हें तिरस्कृत या अवहेलना नहीं करनी चाहिए। यदि तुमने कभी इसे तुच्छ समझा, तो तुरंत तुम्हें छोड़कर यह पुनः मेरे पास आ जाएगी। इसमें कोई संदेह नहीं है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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