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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 16: नन्दीश्वर का रावण को शाप, भगवान् शङ्कर द्वारा रावण का मान भङ्ग तथा उनसे चन्द्रहास नामक खड्ग की प्राप्ति
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श्लोक 43-44
श्लोक
7.16.43-44
एवमुक्तस्ततस्तेन रावणेन स शङ्कर:॥ ४३॥
ददौ खड्गं महादीप्तं चन्द्रहासमिति श्रुतम्।
आयुषश्चावशेषं च ददौ भूतपतिस्तदा॥ ४४॥
अनुवाद
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रावण के ऐसा कहने पर भगवान शंकर ने उन्हें एक तेजस्वी चन्द्रहास नामक खड्ग प्रदान किया और उनकी शेष आयु को भी पूरा कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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