पापान्यपि च य: कुर्यादहन्यहनि मानव:।
पठत्येकमपि श्लोकं पापात् स परिमुच्यते॥ ६॥
अनुवाद
जो व्यक्ति प्रतिदिन पाप करता है, यदि वह एक श्लोक का भी नित्य पाठ करता है तो वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। पापों से मुक्ति पाने के लिए श्लोक का पाठ करना एक प्रभावी तरीका है।