श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 111: रामायण- काव्य का उपसंहार और इसकी महिमा  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  7.111.4 
 
 
इदमाख्यानमायुष्यं सौभाग्यं पापनाशनम्।
रामायणं वेदसमं श्राद्धेषु श्रावयेद् बुध:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रबन्ध काव्य (रामायण) को सुनने से आयु, सौभाग्य में वृद्धि होती है और पापों का नाश होता है। रामायण वेद के समान पवित्र है। विद्वान पुरुषों को चाहिए कि वे श्राद्ध में रामायण का पाठ करें और दूसरों को भी सुनाएं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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