पिता पितामहस्तस्य तथैव प्रपितामह:।
तत्पिता तत्पिता चैव विष्णुं यान्ति न संशय:॥ २२॥
अनुवाद
इस श्लोक का अर्थ है कि भगवान विष्णु के भक्त न केवल स्वयं मोक्ष प्राप्त करते हैं, बल्कि उनके पिता, पितामह, प्रपितामह, वृद्ध प्रपितामह और उनके पिता भी मोक्ष प्राप्त करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है।