श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 111: रामायण- काव्य का उपसंहार और इसकी महिमा  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.111.19 
 
 
य: पठेच्छृणुयान्नित्यं चरितं राघवस्य ह।
भक्त्या निष्कल्मषो भूत्वा दीर्घमायुरवाप्नुयात्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  जो पुरुष प्रतिदिन श्रद्धा और लगन से श्रीरघुनाथ जी के चरित्र को पढ़ता या सुनता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर दीर्घायु प्राप्त करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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