उन दिनों अयोध्या में कोई भी छोटा-से-छोटा जीव नहीं था जो सांस नहीं लेता हो। यहाँ तक कि पशु-पक्षी भी श्रीराम के भक्त थे और उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे नवाधिकशततम: सर्ग: ॥ १ ०९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें एक सौ नवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ ०९॥