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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 108: श्रीरामचन्द्रजी का भाइयों, सुग्रीव आदि वानरों तथा रीछों के साथ परमधाम जाने का निश्चय और विभीषण, हनुमान्, जाम्बवान्, मैन्द एवं द्विविद को इस भूतल पर ही रहने का आदेश देना
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श्लोक 9
श्लोक
7.108.9
आत्मनश्च विपर्यासं भविष्यं भ्रातृभि: सह।
तत: पुत्रद्वयं वीर: सोऽभ्यषिञ्चन्नराधिप: ॥ ९ ॥
अनुवाद
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उनके द्वारा यह भी कहा गया है कि मेरे शरीर का भाइयों से भी वियोग होने वाला है। इसके बाद वीर राजा शत्रुघ्न ने अपने दोनों पुत्रों का राज्याभिषेक किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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