तवानुगमने राजन् सम्प्राप्ता: स्म समागता:॥ २०॥
यदि राम विनास्माभिर्गच्छेस्त्वं पुरुषोत्तम।
यमदण्डमिवोद्यम्य त्वया स्म विनिपातिता:॥ २१॥
अनुवाद
‘राजन्! हम भी आपके साथ चलनेका निश्चय लेकर यहाँ आये हैं। पुरुषोत्तम श्रीराम! यदि आप हमें साथ लिये बिना ही चले जायँगे तो हम यह समझेंगे कि आपने यमदण्ड उठाकर हमें मार गिराया है’॥ २०-२१॥