श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 108: श्रीरामचन्द्रजी का भाइयों, सुग्रीव आदि वानरों तथा रीछों के साथ परमधाम जाने का निश्चय और विभीषण, हनुमान्, जाम्बवान्, मैन्द एवं द्विविद को इस भूतल पर ही रहने का आदेश देना  »  श्लोक 20-21
 
 
श्लोक  7.108.20-21 
 
 
तवानुगमने राजन् सम्प्राप्ता: स्म समागता:॥ २०॥
यदि राम विनास्माभिर्गच्छेस्त्वं पुरुषोत्तम।
यमदण्डमिवोद्यम्य त्वया स्म विनिपातिता:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘राजन्! हम भी आपके साथ चलनेका निश्चय लेकर यहाँ आये हैं। पुरुषोत्तम श्रीराम! यदि आप हमें साथ लिये बिना ही चले जायँगे तो हम यह समझेंगे कि आपने यमदण्ड उठाकर हमें मार गिराया है’॥ २०-२१॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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