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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 108: श्रीरामचन्द्रजी का भाइयों, सुग्रीव आदि वानरों तथा रीछों के साथ परमधाम जाने का निश्चय और विभीषण, हनुमान्, जाम्बवान्, मैन्द एवं द्विविद को इस भूतल पर ही रहने का आदेश देना
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श्लोक 11
श्लोक
7.108.11
सुबाहुं मधुरायां च वैदिशे शत्रुघातिनम्।
ययौ स्थाप्य तदायोध्यां रथेनैकेन राघव:॥ ११॥
अनुवाद
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इस प्रकार सुबाहु को मधुरा में तथा शत्रुघ्न को वैदेश में स्थापित करके रघुकुल के नंदन शत्रुघ्न एकमात्र रथ के द्वारा अयोध्या के लिए प्रस्थान हुए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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