इस प्रकार भगवान श्री रघुनाथ ने उन दोनों वीर पुत्रों का अभिषेक करके उन्हें अपने-अपने नगर में स्थापित किया और तत्पश्चात महात्मा शत्रुघ्न के पास दूत भेजे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे सप्ताधिकशततम: सर्ग: ॥ १ ०७॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें एक सौ सातवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ ०७॥