तब भगवान विष्णु के चतुर्थ अंश लक्ष्मण को आते हुए देखकर सभी देवता बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने लक्ष्मण की पूजा की।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे षडधिकशततम: सर्ग: ॥ १ ०६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें एक सौ छवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ ०६॥