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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 104: कालका श्रीरामचन्द्रजी को ब्रह्माजी का संदेश सुनाना और श्रीराम का उसे स्वीकार करना
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श्लोक 16
श्लोक
7.104.16
श्रुत्वा पितामहेनोक्तं वाक्यं कालसमीरितम्।
राघव: प्रहसन् वाक्यं सर्वसंहारमब्रवीत्॥ १६॥
अनुवाद
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काल के मुख से ब्रह्मा द्वारा सुनाए गए संदेश को सुनकर श्रीरघुनाथजी मुस्कुराते हुए सर्वसंहारी काल से बोले।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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