लक्ष्मण और भरत, दोनों ही भगवान श्री रामचंद्रजी के चरणों में अटूट प्रेम रखने वाले थे। वे दोनों ही अत्यंत धर्मात्मा थे। भगवान श्री राम की सेवा में रहते हुए उन्हें बहुत समय बीत गया, परंतु उनके प्रेम की अधिकता के कारण उन्हें समय का बिलकुल भी ध्यान नहीं आया।