श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 102: श्रीराम की आज्ञा से भरत और लक्ष्मण द्वारा कुमार अङ्गद और चन्द्रकेतु की कारुपथ देश के विभिन्न राज्यों पर नियुक्ति  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.102.14 
 
 
भरतोऽपि तथैवोष्य संवत्सरमतोऽधिकम्।
अयोध्यां पुनरागम्य रामपादावुपास्त स:॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  इसी प्रकार भरत भी चन्द्रकान्ता नगरी में एक वर्ष से कुछ अधिक समय तक रहे, और जब चन्द्रकेतु का राज्य दृढ़ हो गया, तब वे लौटकर अयोध्या में श्रीरामचन्द्र जी के चरणों की सेवा में लग गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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