श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 100: केकयदेश से ब्रह्मर्षि गार्ग्य का भेंट लेकर आना और उनके संदेश के अनुसार श्रीराम की आज्ञा से कुमारों सहित भरत का गन्धर्व देश पर आक्रमण करने के लिये प्रस्थान  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  7.100.25 
 
 
अध्यर्धमासमुषिता पथि सेना निरामया।
हृष्टपुष्टजनाकीर्णा केकयं समुपागमत्॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  अर्धमास की यात्रा के पश्चात वह सेना, जो निरोग तथा हृष्ट-पुष्ट जनों से भरी हुई थी, कुशलतापूर्वक केकय देश में जा पहुँची।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे शततम: सर्ग: ॥ १ ००॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें सौवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ ००॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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